श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 77: राजा दशरथ का पुत्रों और वधुओं के साथ अयोध्या में प्रवेश, सीता और श्रीराम का पारस्परिक प्रेम  »  श्लोक 4-5
 
 
श्लोक  1.77.4-5 
 
 
रामस्य वचनं श्रुत्वा राजा दशरथ: सुतम्।
बाहुभ्यां सम्परिष्वज्य मूर्ध्न्युपाघ्राय राघवम्॥ ४॥
गतो राम इति श्रुत्वा हृष्ट: प्रमुदितो नृप:।
पुनर्जातं तदा मेने पुत्रमात्मानमेव च॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  राम के ऐसे वचन सुनकर राजा दशरथ ने अपने बेटे रघुनाथ जी को दोनों बाहों में भरकर सीने से लगा लिया और उसका माथा सूँघा। परशुराम जी के चले जाने का समाचार सुनकर राजा दशरथ को बड़ी प्रसन्नता हुई और वे आनन्द से भर उठे। उस समय उन्होंने अपने और अपने पुत्र का मानो पुनर्जन्म हुआ समझा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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