राम के ऐसे वचन सुनकर राजा दशरथ ने अपने बेटे रघुनाथ जी को दोनों बाहों में भरकर सीने से लगा लिया और उसका माथा सूँघा। परशुराम जी के चले जाने का समाचार सुनकर राजा दशरथ को बड़ी प्रसन्नता हुई और वे आनन्द से भर उठे। उस समय उन्होंने अपने और अपने पुत्र का मानो पुनर्जन्म हुआ समझा।