श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  1.75.3 
 
 
तदिदं घोरसंकाशं जामदग्न्यं महद्धनु:।
पूरयस्व शरेणैव स्वबलं दर्शयस्व च॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  यह विशाल और भयंकर धनुष जमदग्नि कुमार परशुराम का है। इसे खींचकर इसमें बाण चढ़ाओ और अपना बल दिखाओ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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