श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 75: राजा दशरथ की बात अनसुनी करके परशुराम का श्रीराम को वैष्णव-धनुष पर बाण चढ़ाने के लिये ललकारना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  1.75.12 
 
 
अनुसृष्टं सुरैरेकं त्र्यम्बकाय युयुत्सवे।
त्रिपुरघ्नं नरश्रेष्ठ भग्नं काकुत्स्थ यत्त्वया॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  नरेश्वर! इनमें से एक धनुष को देवताओं ने भगवान शंकर को त्रिपुरासुर से युद्ध करने के लिए भेंट किया था। ककुत्स्थ नंदन! जिससे त्रिपुर का विनाश हुआ था, वही धनुष था जिसे तुमने तोड़ डाला है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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