ईदृशे वर्तमाने तु तूर्योद्घुष्टनिनादिते।
त्रिरग्निं ते परिक्रम्य ऊहुर्भार्या महौजस:॥ ३९॥
अनुवाद
शहनाई और अन्य मधुर वाद्य यंत्रों के गूंजते स्वर से उस वर्तमान विवाह समारोह में उन तेजस्वी राजकुमारों ने अग्नि की तीन बार परिक्रमा करते हुए अपनी पत्नियों को स्वीकार कर विवाह संस्कार को पूरा किया।