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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 28
श्लोक
1.73.28
इत्युक्त्वा प्राक्षिपद् राजा मन्त्रपूतं जलं तदा।
साधुसाध्विति देवानामृषीणां वदतां तदा॥ २८॥
अनुवाद
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राजा ने ऐसा कहकर श्रीराम के हाथ में मंत्रोच्चारण से पवित्र जल अर्पित किया। उस समय देवताओं और ऋषियों के मुख से जनक के लिये प्रशंसा के शब्द सुनाई देने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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