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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 70: राजा जनक का अपने भाई कुशध्वज को सांकाश्या नगरी से बुलवाना,वसिष्ठजी का श्रीराम और लक्ष्मण के लिये सीता तथा ऊर्मिला को वरण करना
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श्लोक 37
श्लोक
1.70.37
सपत्न्या तु गरस्तस्यै दत्तो गर्भजिघांसया।
सह तेन गरेणैव संजात: सगरोऽभवत्॥ ३७॥
अनुवाद
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‘उसकी सौतने उसके गर्भको नष्ट कर देनेके लिये जो गर (विष) दिया था, उसके साथ ही उत्पन्न होनेके कारण वह राजकुमार ‘सगर’ नामसे विख्यात हुआ॥ ३७॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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