श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 70: राजा जनक का अपने भाई कुशध्वज को सांकाश्या नगरी से बुलवाना,वसिष्ठजी का श्रीराम और लक्ष्मण के लिये सीता तथा ऊर्मिला को वरण करना  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  1.70.30 
 
 
असितोऽल्पबलो राजा कालधर्ममुपेयिवान्।
द्वे चास्य भार्ये गर्भिण्यौ बभूवतुरिति श्रुति:॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  असित राजा की सेना बहुत कम रह गई थी। उन्होंने हिमालय में ही प्राण त्याग दिए। उस समय उनकी दोनों पत्नियाँ गर्भवती थीं, ऐसा सुना गया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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