श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 67: श्रीराम के द्वारा धनुर्भंग तथा राजा जनक का विश्वामित्र की आज्ञा से राजा दशरथ को बुलाने के लिये मन्त्रियों को भेजना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  1.67.23 
 
 
मम सत्या प्रतिज्ञा सा वीर्यशुल्केति कौशिक।
सीता प्राणैर्बहुमता देया रामाय मे सुता॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  कौशिक नन्दन! मैंने सीता को वीर्यशुल्का (पराक्रमरूपी शुल्क से ही प्राप्त होनेवाली) बताकर जो प्रतिज्ञा की थी, वह आज सत्य एवं सफल हो गयी। सीता मेरे लिये प्राणों से भी बढ़कर है। अपनी यह पुत्री मैं श्रीराम को समर्पित करूँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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