श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 67: श्रीराम के द्वारा धनुर्भंग तथा राजा जनक का विश्वामित्र की आज्ञा से राजा दशरथ को बुलाने के लिये मन्त्रियों को भेजना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  1.67.21 
 
 
भगवन् दृष्टवीर्यो मे रामो दशरथात्मज:।
अत्यद्भुतमचिन्त्यं च अतर्कितमिदं मया॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  भगवन्! मैंने आज अपनी आँखों से दशरथ के पुत्र श्रीराम के पराक्रम को देखा। महादेव जी का धनुष चढ़ाना कोई साधारण बात नहीं है, यह अत्यंत आश्चर्यजनक, अचिंतनीय और समझ से परे है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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