श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 67: श्रीराम के द्वारा धनुर्भंग तथा राजा जनक का विश्वामित्र की आज्ञा से राजा दशरथ को बुलाने के लिये मन्त्रियों को भेजना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  1.67.18 
 
 
तस्य शब्दो महानासीन्निर्घातसमनि:स्वन:।
भूमिकम्पश्च सुमहान् पर्वतस्येव दीर्यत:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  टेढ़े समय जब वह (कलश) टूटा तो वज्रपात के समान बहुत भारी आवाज हुई। ऐसा लगा मानो पर्वत फट गया हो। उस समय बहुत बड़ा भूकम्प आ गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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