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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 67: श्रीराम के द्वारा धनुर्भंग तथा राजा जनक का विश्वामित्र की आज्ञा से राजा दशरथ को बुलाने के लिये मन्त्रियों को भेजना
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श्लोक 14
श्लोक
1.67.14
इदं धनुर्वरं दिव्यं संस्पृशामीह पाणिना।
यत्नवांश्च भविष्यामि तोलने पूरणेऽपि वा॥ १४॥
अनुवाद
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मैं इस दिव्य और श्रेष्ठ धनुष को अपने हाथों से स्पर्श करूंगा। मैं इसे उठाने और चढ़ाने का भी प्रयास करूंगा, चाहे यह पूर्ण रूप से भरा हुआ हो या न हो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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