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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 67: श्रीराम के द्वारा धनुर्भंग तथा राजा जनक का विश्वामित्र की आज्ञा से राजा दशरथ को बुलाने के लिये मन्त्रियों को भेजना
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श्लोक 10
श्लोक
1.67.10
क्व गतिर्मानुषाणां च धनुषोऽस्य प्रपूरणे।
आरोपणे समायोगे वेपने तोलने तथा॥ १०॥
अनुवाद
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मनुष्यों की गति कहाँ है; अर्थात् मनुष्य धनुष को खींचने, चढ़ाने, इस पर बाण रखने, इसकी प्रत्यंचा पर टंकार देने और इसे उठाकर इधर-उधर पीछे सामने हिलाने में पूर्णतः असमर्थ हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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