श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 66: राजा जनक का विश्वामित्र और राम लक्ष्मण का सत्कार, धनुष का परिचय देना और धनुष चढ़ा देने पर श्रीराम के साथ ब्याह का निश्चय प्रकट करना  »  श्लोक 13-14
 
 
श्लोक  1.66.13-14 
 
 
अथ मे कृषत: क्षेत्रं लांगलादुत्थिता तत:॥ १३॥
क्षेत्रं शोधयता लब्धा नाम्ना सीतेति विश्रुता।
भूतलादुत्थिता सा तु व्यवर्धत ममात्मजा॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  एक दिन मैं यज्ञ के लिए भूमि तैयार कर रहा था। उस समय हल के अग्रभाग से जोती गई भूमि से एक कन्या का प्रादुर्भाव हुआ। सीता (हल द्वारा खींची गई रेखा) से उत्पन्न होने के कारण उसका नाम सीता रखा गया। पृथ्वी से प्रकट हुई वह मेरी कन्या धीरे-धीरे बड़ी हुई और समझदार बन गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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