श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 64: विश्वामित्र का रम्भा को शाप देकर पुनः घोर तपस्या के लिये दीक्षा लेना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  1.64.7 
 
 
त्वं हि रूपं बहुगुणं कृत्वा परमभास्वरम्।
तमृषिं कौशिकं भद्रे भेदयस्व तपस्विनम्॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  हे भद्रे! तुम अपने रूप को परम प्रकाशमान और विविध गुणों से पूर्ण बनाओ और उस रूप से विश्वामित्र मुनि को उनकी तपस्या से विचलित कर दो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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