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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 63: विश्वामित्र को ऋषि एवं महर्षिपद की प्राप्ति, मेनका द्वारा उनका तपोभंग तथा ब्रह्मर्षिपद की प्राप्ति के लिये उनकी घोर तपस्या
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श्लोक 4
श्लोक
1.63.4
तत: कालेन महता मेनका परमाप्सरा:।
पुष्करेषु नरश्रेष्ठ स्नातुं समुपचक्रमे॥ ४॥
अनुवाद
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नरश्रेष्ठ! समय बीत जाने पर सर्वसुंदर अप्सरा मेनका पुष्कर में आईं और वहीं स्नान की तैयारी करने लगीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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