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श्लोक 1.62.28  |
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विश्वामित्रोऽपि धर्मात्मा भूयस्तेपे महातपा:।
पुष्करेषु नरश्रेष्ठ दशवर्षशतानि च॥ २८॥ |
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अनुवाद |
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विश्वामित्र ने भी पुष्कर तीर्थ में पुनः एक हजार वर्षों तक घोर तपस्या की। |
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इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये बालकाण्डे द्विषष्टितम: सर्ग:॥ ६२॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके बालकाण्डमें बासठवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ६२॥ |
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