श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 62: विश्वामित्र द्वारा शुनःशेप की रक्षा का सफल प्रयत्न और तपस्या  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  1.62.26 
 
 
तत: प्रीत: सहस्राक्षो रहस्यस्तुतितोषित:।
दीर्घमायुस्तदा प्रादाच्छुन:शेपाय वासव:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  सहस्र नेत्रों वाले इंद्र रहस्यपूर्ण स्तुति से प्रसन्न हुए और उन्होंने शुनःशेप को लंबा जीवन प्रदान किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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