सदस्यानुमते राजा पवित्रकृतलक्षणम्।
पशुं रक्ताम्बरं कृत्वा यूपे तं समबन्धयत्॥ २४॥
अनुवाद
वहाँ समस्त सदस्यों की अनुमति से राजा अम्बरीष ने पवित्र लक्षणों से युक्त श्रेष्ठ पशु के समान शुनःशेप को कुश की पवित्र रस्सी से बाँध दिया। उसके बाद उन्होंने उसे लाल रंग के वस्त्र पहनाये और यज्ञ के दौरान बाँधने वाले खंभे (यूप) से उसे बाँध दिया।