श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 59: विश्वामित्र का त्रिशंकु का यज्ञ कराने के लिये ऋषिमुनियों को आमन्त्रित करना और उनकी बात न मानने वाले महोदय तथा ऋषिपुत्रों को शाप देकर नष्ट करना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.59.22 
 
 
एतावदुक्त्वा वचनं विश्वामित्रो महातपा:।
विरराम महातेजा ऋषिमध्ये महामुनि:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  विश्वामित्र ने ऋषियों के बीच में यही बात कहकर तपस्वी, तेजस्वी और महामुनि होने के कारण चुप्पी साध ली।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये बालकाण्डे एकोनषष्टितम: सर्ग:॥ ५९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके बालकाण्डमें उनसठवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ५९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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