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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 56: विश्वामित्र द्वारा वसिष्ठजी पर नाना प्रकार के दिव्यास्त्रों का प्रयोग,वसिष्ठ द्वारा ब्रह्मदण्ड से ही उनका शमन,विश्वामित्र का ब्राह्मणत्व की प्राप्ति के लिये तप करने का निश्चय
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श्लोक 6
श्लोक
1.56.6
वारुणं चैव रौद्रं च ऐन्द्रं पाशुपतं तथा।
ऐषीकं चापि चिक्षेप कुपितो गाधिनन्दन:॥ ६॥
अनुवाद
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तब गाधि के पुत्र विश्वामित्र ने क्रोधित होकर वारुण, रौद्र, ऐन्द्र, पाशुपत और ऐषीक नाम के सभी तरह के अस्त्रों का प्रयोग किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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