श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 56: विश्वामित्र द्वारा वसिष्ठजी पर नाना प्रकार के दिव्यास्त्रों का प्रयोग,वसिष्ठ द्वारा ब्रह्मदण्ड से ही उनका शमन,विश्वामित्र का ब्राह्मणत्व की प्राप्ति के लिये तप करने का निश्चय  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.56.22 
 
 
एवमुक्तो महातेजा: शमं चक्रे महाबल:।
विश्वामित्रो विनिकृतो विनि:श्वस्येदमब्रवीत्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  महर्षियों के कहने पर, महातेजस्वी और महाबली वसिष्ठजी शांत हो गए। पराजित विश्वामित्र ने एक गहरी साँस ली और इस प्रकार बोले-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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