श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 56: विश्वामित्र द्वारा वसिष्ठजी पर नाना प्रकार के दिव्यास्त्रों का प्रयोग,वसिष्ठ द्वारा ब्रह्मदण्ड से ही उनका शमन,विश्वामित्र का ब्राह्मणत्व की प्राप्ति के लिये तप करने का निश्चय  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  1.56.19 
 
 
प्राज्वलद् ब्रह्मदण्डश्च वसिष्ठस्य करोद्यत:।
विधूम इव कालाग्नेर्यमदण्ड इवापर:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  वसिष्ठजी के हाथ में उठा हुआ दूसरा यमदण्ड के समान वह ब्रह्मदण्ड धूमरहित कालाग्नि के समान प्रज्वलित हो रहा था। यह दृश्य ऐसा था जैसे कालाग्नि से रहित धुआँ उठ रहा हो और वह अग्नि यमदण्ड के समान प्रज्वलित हो रही हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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