श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 55: अपने सौ पुत्रों और सारी सेना के नष्ट हो जाने पर विश्वामित्र का तपस्या करके दिव्यास्त्र पाना, वसिष्ठजी का ब्रह्मदण्ड लेकर उनके सामने खड़ा होना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  1.55.4 
 
 
तैस्तन्निषूदितं सर्वं विश्वामित्रस्य तत्क्षणात्।
सपदातिगजं साश्वं सरथं रघुनन्दन॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  रघुनन्दन! विश्वामित्र की पदातिक, गज, अश्व और रथों सहित संपूर्ण सेना का तत्काल ही संहार कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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