श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 55: अपने सौ पुत्रों और सारी सेना के नष्ट हो जाने पर विश्वामित्र का तपस्या करके दिव्यास्त्र पाना, वसिष्ठजी का ब्रह्मदण्ड लेकर उनके सामने खड़ा होना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  1.55.16 
 
 
यदि तुष्टो महादेव धनुर्वेदो ममानघ।
सांगोपांगोपनिषद: सरहस्य: प्रदीयताम्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  हे निष्पाप महादेव! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हों, तो मुझे धनुर्वेद प्रदान करें, जिसमें अंग, उपांग, उपनिषद और रहस्य सभी शामिल हों।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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