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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 53: विश्वामित्र का वसिष्ठ से उनकी कामधेनु को माँगना और उनका देने से अस्वीकार करना
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श्लोक 23
श्लोक
1.53.23
एतदेव हि मे रत्नमेतदेव हि मे धनम्।
एतदेव हि सर्वस्वमेतदेव हि जीवितम्॥ २३॥
अनुवाद
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"यह अनमोल रत्न ही मेरा धन है, मेरा सर्वस्व है और यही मेरे जीवन का आधार है।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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