श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 53: विश्वामित्र का वसिष्ठ से उनकी कामधेनु को माँगना और उनका देने से अस्वीकार करना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  1.53.21 
 
 
यावदिच्छसि रत्नानि हिरण्यं वा द्विजोत्तम।
तावद् ददामि ते सर्वं दीयतां शबला मम॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  द्विजश्रेष्ठ! तुम चाहो तो रत्न और सोना ले लो, मैं तुम्हें जितना चाहो उतना दे सकता हूँ। परंतु मुझे यह शबला गाय दे दो।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.