श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 52: महर्षि वसिष्ठ द्वारा विश्वामित्र का सत्कार और कामधेनु को अभीष्ट वस्तुओं की सृष्टि करने का आदेश  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  1.52.23 
 
 
रसेनान्नेन पानेन लेह्यचोष्येण संयुतम्।
अन्नानां निचयं सर्वं सृजस्व शबले त्वर॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  "हे शबले! मिष्ठान्न, अन्न, पेय, चटनी-अचार और चूसने योग्य वस्तुओं से युक्त अनेक प्रकार के भोजन का संग्रह कर दो। सभी आवश्यक वस्तुओं की रचना करो, जल्दी करो - देरी मत करो।"
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये बालकाण्डे द्विपञ्चाश: सर्ग:॥ ५२॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके बालकाण्डमें बावनवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ५२॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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