"हे शबले! मिष्ठान्न, अन्न, पेय, चटनी-अचार और चूसने योग्य वस्तुओं से युक्त अनेक प्रकार के भोजन का संग्रह कर दो। सभी आवश्यक वस्तुओं की रचना करो, जल्दी करो - देरी मत करो।"
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये बालकाण्डे द्विपञ्चाश: सर्ग:॥ ५२॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके बालकाण्डमें बावनवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ५२॥