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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 52: महर्षि वसिष्ठ द्वारा विश्वामित्र का सत्कार और कामधेनु को अभीष्ट वस्तुओं की सृष्टि करने का आदेश
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श्लोक 22
श्लोक
1.52.22
यस्य यस्य यथाकामं षड्रसेष्वभिपूजितम्।
तत् सर्वं कामधुग् दिव्ये अभिवर्ष कृते मम॥ २२॥
अनुवाद
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अतिथि सत्कार हेतु स्वादिष्ट भोजन और विभिन्न प्रकार के व्यंजनों से परिपूर्ण दिव्य भोज का आयोजन करो। हे दिव्य कामधेनु! अतिथियों को प्रसन्नता प्रदान करने हेतु उनके मनपसंद भोजन एवं वस्तुओं की वर्षा करो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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