वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 52: महर्षि वसिष्ठ द्वारा विश्वामित्र का सत्कार और कामधेनु को अभीष्ट वस्तुओं की सृष्टि करने का आदेश
»
श्लोक 16
श्लोक
1.52.16
फलमूलेन भगवन् विद्यते यत् तवाश्रमे।
पाद्येनाचमनीयेन भगवद्दर्शनेन च॥ १६॥
अनुवाद
play_arrowpause
भगवन्! आपके आश्रम में जो फल-मूल, जल और आचमनार्थ पवित्र जल आदि वस्तुएँ हैं, उन सबसे आपका सम्मान और पूजा की गई है। सबसे बढ़कर, आपका दर्शन पाकर मेरी पूजा सफल हो गई है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.