वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 48: मुनियों सहित श्रीराम का मिथिलापुरी में पहुँचना, विश्वामित्रजी का उनसे अहल्या को शाप प्राप्त होने की कथा सुनाना
»
श्लोक 28
श्लोक
1.48.28
गौतमेनैवमुक्तस्य सुरोषेण महात्मना।
पेततुर्वृषणौ भूमौ सहस्राक्षस्य तत्क्षणात्॥ २८॥
अनुवाद
play_arrowpause
सहस्राक्ष इंद्र ने महात्मा गौतम के प्रति अपने क्रोध और द्वेष को प्रकट किया। तब महात्मा गौतम ने अपने योगबल से इंद्र के दोनों अंडकोष काट दिए और वे धरती पर गिर पड़े।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.