काकुत्स्थ कुल के भूषण! जो इस मंत्र को सुनता है, वह सभी इच्छाओं को प्राप्त कर लेता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसकी आयु और कीर्ति में वृद्धि होती है।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये बालकाण्डे चतुश्चत्वारिंश: सर्ग:॥ ४४॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके बालकाण्डमें चौवालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ४४॥