श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 41: सगर की आज्ञा से अंशुमान् का रसातल में जाकर घोड़े को ले आना और अपने चाचाओं के निधन का समाचार सुनाना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  1.41.16 
 
 
विसार्य निपुणां दृष्टिं ततोऽपश्यत् खगाधिपम्।
पितॄणां मातुलं राम सुपर्णमनिलोपमम्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  हे श्रीराम! तब उन्होंने अपनी कुशल दृष्टि को फैलाकर दूर की वस्तुओं को देखने की कोशिश की। उस समय उन्हें हवा की तरह तेज पक्षियों के राजा गरुड़ दिखाई दिए, जो उनके चाचाओं (सगर पुत्रों) के मामा थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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