वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 39: इन्द्र के द्वारा राजा सगर के यज्ञ सम्बन्धी अश्व का अपहरण, सगरपुत्रों द्वारा सारी पृथ्वी का भेदन
»
श्लोक 24
श्लोक
1.39.24
ते प्रसाद्य महात्मानं विषण्णवदनास्तदा।
ऊचु: परमसंत्रस्ता: पितामहमिदं वच:॥ २४॥
अनुवाद
play_arrowpause
उनके चेहरे उदासी से भर गए थे। वे भय से बेहद घबराए हुए थे। उन्होंने महात्मा ब्रह्माजी को प्रसन्न करके इस प्रकार कहा-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.