श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 39: इन्द्र के द्वारा राजा सगर के यज्ञ सम्बन्धी अश्व का अपहरण, सगरपुत्रों द्वारा सारी पृथ्वी का भेदन  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  1.39.24 
 
 
ते प्रसाद्य महात्मानं विषण्णवदनास्तदा।
ऊचु: परमसंत्रस्ता: पितामहमिदं वच:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  उनके चेहरे उदासी से भर गए थे। वे भय से बेहद घबराए हुए थे। उन्होंने महात्मा ब्रह्माजी को प्रसन्न करके इस प्रकार कहा-।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.