श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 37: गंगा से कार्तिकेय की उत्पत्ति का प्रसंग  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  1.37.27 
 
 
स्कन्द इत्यब्रुवन् देवा: स्कन्नं गर्भपरिस्रवे।
कार्तिकेयं महाबाहुं काकुत्स्थ ज्वलनोपमम्॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  हे ककुत्स्थ-कुलभूषण श्रीराम! अग्नि के समान तेजस्वी महाबाहु कार्तिकेय गर्भस्राव के समय स्कन्दित हुए थे; इसलिए देवताओं ने उन्हें स्कन्द कहकर पुकारा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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