वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 37: गंगा से कार्तिकेय की उत्पत्ति का प्रसंग
»
श्लोक 27
श्लोक
1.37.27
स्कन्द इत्यब्रुवन् देवा: स्कन्नं गर्भपरिस्रवे।
कार्तिकेयं महाबाहुं काकुत्स्थ ज्वलनोपमम्॥ २७॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे ककुत्स्थ-कुलभूषण श्रीराम! अग्नि के समान तेजस्वी महाबाहु कार्तिकेय गर्भस्राव के समय स्कन्दित हुए थे; इसलिए देवताओं ने उन्हें स्कन्द कहकर पुकारा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.