न च पुत्रकृतां प्रीतिं मत्क्रोधकलुषीकृता।
प्राप्स्यसि त्वं सुदुर्मेधो मम पुत्रमनिच्छती॥ २४॥
अनुवाद
अरे पृथ्वी! तू मेरी बुद्धि को खराब करने वाली है! तू चाहती थी कि मेरे कोई पुत्र न हो, इसलिए तू मेरे कोप से कलुषित हुई है। अतः अब तू भी पुत्र के सुख अथवा प्रसन्नता का अनुभव नहीं कर पाएगी।