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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 30: श्रीराम द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा तथा राक्षसों का संहार
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श्लोक 16-17
श्लोक
1.30.16-17
इत्युक्त्वा वचनं रामश्चापे संधाय वेगवान्॥ १६॥
मानवं परमोदारमस्त्रं परमभास्वरम्।
चिक्षेप परमक्रुद्धो मारीचोरसि राघव:॥ १७॥
अनुवाद
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इस प्रकार कहकर वेगवान श्रीराम ने अपने धनुष पर परमोदार मानवास्त्र को संधान किया। वह अस्त्र अति तेजस्वी था। श्रीराम ने अत्यधिक क्रोध में भरकर मारीच के सीने में उस बाण का प्रहार किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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