श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 28: विश्वामित्र का श्रीराम को अस्त्रों की संहारविधि बताना,अस्त्रों का उपदेश करना, श्रीराम का आश्रम एवं यज्ञस्थान के विषय में प्रश्न  »  श्लोक 16-17
 
 
श्लोक  1.28.16-17 
 
 
स च तान् राघवो ज्ञात्वा विश्वामित्रं महामुनिम्।
गच्छन्नेवाथ मधुरं श्लक्ष्णं वचनमब्रवीत्॥ १६॥
किमेतन्मेघसंकाशं पर्वतस्याविदूरत:।
वृक्षखण्डमितो भाति परं कौतूहलं हि मे॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार, उन अस्त्रों का ज्ञान प्राप्त करके भगवान श्रीरघुनाथ चलते-चलते ही महान ऋषि विश्वामित्र से मधुर वाणी में पूछा - "हे भगवान! सामने वाले पर्वत के पास जो यह मेघों के समान घटा वाले सघन वृक्षों से भरा स्थान दिखाई देता है, क्या है? उसके विषय में जानने के लिए मेरे मन में बहुत उत्सुकता हो रही है।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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