श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 13: यज्ञ की तैयारी, राजाओं को बुलाने के आदेश एवं उनका सत्कार तथा पत्नियों सहित राजा दशरथ का यज्ञ की दीक्षा लेना  »  श्लोक 18-19h
 
 
श्लोक  1.13.18-19h 
 
 
तत: सर्वे समागम्य वसिष्ठमिदमब्रुवन्।
यथेष्टं तत् सुविहितं न किंचित् परिहीयते॥ १८॥
यथोक्तं तत् करिष्यामो न किंचित् परिहास्यते।
 
 
अनुवाद
 
  तब वे सब लोग वसिष्ठ जी के पास जाकर बोले – ‘आप जो भी करना चाहें, उसके हिसाब से ही सब कुछ व्यवस्थित ढंग से किया जाएगा। कोई भी काम बिगड़ने नहीं पाएगा। हम वही करेंगे जो आपने कहा है। उसमें कोई कमी नहीं रहने देंगे।’
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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