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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 12: ऋषियों का दशरथ को और दशरथ का मन्त्रियों को यज्ञ की आवश्यक तैयारी करने के लिये आदेश देना
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श्लोक 9-10h
श्लोक
1.12.9-10h
तदहं यष्टुमिच्छामि हयमेधेन कर्मणा॥ ९॥
ऋषिपुत्रप्रभावेण कामान् प्राप्स्यामि चाप्यहम्।
अनुवाद
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तद् अन्वये अहं अश्वमेध रूपी कर्म से यज्ञ करना चाहता हूँ। मुझे विश्वास है कि ऋषिपुत्र ऋष्यशृंग के प्रभाव से मैं अपने सभी मनोवांछित कामनाओं को पूरा कर लूँगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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