वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 12: ऋषियों का दशरथ को और दशरथ का मन्त्रियों को यज्ञ की आवश्यक तैयारी करने के लिये आदेश देना
»
श्लोक 2
श्लोक
1.12.2
तत: प्रणम्य शिरसा तं विप्रं देववर्णिनम्।
यज्ञाय वरयामास संतानार्थं कुलस्य च॥ २॥
अनुवाद
play_arrowpause
तदनंतर राजा ने देवतुल्य कांति वाले विद्वान ऋष्यशृंग को प्रणाम किया और उन्हें संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ कराने हेतु चुना, जिससे उनका वंश आगे बढ़ सके।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.