श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 11: राजा दशरथ का सपरिवार अंगराज के यहाँ जाकर वहाँ से शान्ता और ऋष्यश्रृंग को अपने घर ले आना  »  श्लोक 24-25h
 
 
श्लोक  1.11.24-25h 
 
 
पौरेषु प्रेषयामास दूतान् वै शीघ्रगामिन:।
क्रियतां नगरं सर्वं क्षिप्रमेव स्वलंकृतम्॥ २४॥
धूपितं सिक्तसम्मृष्टं पताकाभिरलंकृतम्।
 
 
अनुवाद
 
  उसने शहर में अपने दूतों को शीघ्र भेजा और संदेशा भेजा कि शीघ्र ही पूरे नगर को सजाया जाए। हर जगह धूप की ख़ुशबू होनी चाहिए। शहर की सड़कों को साफ़ किया जाए, पानी छिड़का जाए और पूरे शहर को पताकाओं से सजाया जाए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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