श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 0: श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य  »  सर्ग 1: कलियुग की स्थिति, कलिकाल के मनुष्यों के उद्धार का उपाय, रामायणपाठ, उसकी महिमा, उसके श्रवण के लिये उत्तम काल आदि का वर्णन  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  0.1.2 
 
 
चित्रकूटालयं राममिन्दिरानन्दमन्दिरम्।
वन्दे च परमानन्दं भक्तानामभयप्रदम्॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  चित्रकूट में रहने वाले, भगवान लक्ष्मण और देवी सीता के साथ, विभिन्न प्रकार की शक्तियों से युक्त भगवान श्री रामचंद्र जी को मैं नमन करता हूं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.