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श्लोक 9.59.24  |
आत्मनो ह्यपराधेन महद् व्यसनमीदृशम्।
प्राप्तवानसि यल्लोभान्मदाद् बाल्याच्च भारत॥ २४॥ |
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अनुवाद |
हे भरतनन्दन! तुम अपने लोभ, अहंकार और अविद्यारूपी पापों के कारण ही ऐसे महान संकट में पड़े हो॥ 24॥ |
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Bharatanandan! You have got into such a great trouble due to your own sins of greed, pride and lack of wisdom.॥ 24॥ |
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