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श्लोक 9.26.1-4h  |
संजय उवाच
गजानीके हते तस्मिन् पाण्डुपुत्रेण भारत।
वध्यमाने बले चैव भीमसेनेन संयुगे॥ १॥
चरन्तं च तथा दृष्ट्वा भीमसेनमरिंदमम्।
दण्डहस्तं यथा क्रुद्धमन्तकं प्राणहारिणम्॥ २॥
समेत्य समरे राजन् हतशेषा: सुतास्तव।
अदृश्यमाने कौरव्ये पुत्रे दुर्योधने तव॥ ३॥
सोदर्या: सहिता भूत्वा भीमसेनमुपाद्रवन्। |
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अनुवाद |
संजय कहते हैं - राजन! भरतपुत्र! पाण्डुपुत्र भीमसेन द्वारा आपकी हाथी सेना तथा अन्य सेनाओं के नष्ट हो जाने पर जब कुरुवंशी आपका पुत्र दुर्योधन कहीं दिखाई नहीं दिया, तब आपके बचे हुए सभी पुत्र एकत्रित हुए और क्रोधित शत्रुदमन भीमसेन को युद्धस्थल में दण्ड धारण किये हुए मरणासन्न यमराज के समान घूमते देखकर सबने मिलकर उस पर आक्रमण कर दिया। |
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Sanjaya says - King! Son of Bharata! After your elephant army and other armies were destroyed by Pandu's son Bhimasena, when your son Duryodhana of the Kuru dynasty was nowhere to be seen, then all your sons who had survived got together and seeing the enraged Shatrudaman Bhimasena roaming in the battlefield like the deadly Yamaraja holding a stick, they all together attacked him. |
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