श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 55: अश्वत्थामाका घोर युद्ध, सात्यकिके सारथिका वध एवं युधिष्ठिरका अश्वत्थामाको छोड़कर दूसरी ओर चले जाना  »  श्लोक d1
 
 
श्लोक  8.55.d1 
(युधिष्ठिर उवाच
जानामि त्वां युधि श्रेष्ठं वीर्यवन्तं महाबलम्।
कृतास्त्रं कृतिनं चैव तथा लघुपराक्रमम्॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर बोले, 'द्रोणकुमार! मैं जानता हूँ कि तुम युद्ध में वीर, अत्यन्त बलशाली, अस्त्र-शस्त्रों में निपुण, विद्वान् और शीघ्र ही अपना पराक्रम दिखाने वाले महान योद्धा हो।
 
Yudhishthira said, 'Dronakumar! I know that you are valiant in war, very powerful, expert in weapons, learned and a great warrior who displays his valour very quickly.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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