श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 5: संजयका धृतराष्ट्रको कौरवपक्षके मारे गये प्रमुख वीरोंका परिचय देना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  8.5.1 
वैशम्पायन उवाच
इति श्रुत्वा महाराज धृतराष्ट्रोऽम्बिकासुत:।
अब्रवीत् संजयं सूतं शोकसंविग्नमानस:॥ १॥
 
 
अनुवाद
वैशम्पायनजी कहते हैं - महाराज! उपर्युक्त समाचार सुनकर अम्बिकापुत्र धृतराष्ट्र का हृदय शोक से भर गया। वे अपने सारथि संजय से इस प्रकार बोले -॥1॥
 
Vaishampayana says - Maharaj! On hearing the above news, the heart of Dhritarashtra, son of Ambika, was filled with grief. He spoke to his charioteer Sanjaya in this manner -॥1॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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