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श्लोक 8.35.14-15h  |
यस्य ज्यातलनिर्घोषं श्रुत्वा भयकरं महत्॥ १४॥
पाण्डवेयानि सैन्यानि विद्रवन्ति दिशो दश। |
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अनुवाद |
यह वही योद्धा है जिसके धनुष की भयंकर टंकार से पाण्डव सेना सब दिशाओं में भाग गई थी॥14 1/2॥ |
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This is the same warrior whose bowstring's terrifying sound made the Pandava army flee in all directions.॥ 14 1/2॥ |
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