श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक d1h-29
 
 
श्लोक  8.32.d1h-29 
(सारथ्यं क्रियतां तस्य युध्यमानस्य संयुगे।)
त्वया सारथिना ह्येष अप्रधृष्यो भविष्यति।
देवतानामपि रणे सशक्राणां महीपते।
किं पुन: पाण्डवेयानां मा विशंकीर्वचो मम॥ २९॥
 
 
अनुवाद
जब कर्ण युद्धभूमि में युद्ध कर रहा हो, तब तुम उसका सारथि बनो। हे राजन! तुम्हारे सारथि बनकर कर्ण इन्द्र सहित समस्त देवताओं के विरुद्ध अजेय हो जाएगा, फिर पाण्डवों की तो बात ही क्या है। मेरे कथन पर संदेह मत करो।॥29॥
 
When Karna is fighting on the battlefield, take up the responsibility of being his charioteer. O King! With you as his charioteer, Karna will become invincible against all the gods including Indra, then what to say about the Pandavas. Do not doubt my statement.'॥ 29॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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