श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  8.32.9 
भीष्मो द्रोण: कृप: कर्णो भवान् भोजश्च वीर्यवान्।
शकुनि: सौबलो द्रौणिरहमेव च नो बलम्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, कर्ण, आप, पराक्रमी कृतवर्मा, सुबाला का पुत्र शकुनि, द्रोण का पुत्र अश्वत्थामा और मैं- ये हमारी ताकत हैं।' 9॥
 
‘Bhishma, Drona, Krupacharya, Karna, you, the mighty Kritavarma, Subala's son Shakuni, Drona's son Ashwatthama and I—these are our strength.॥ 9॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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