श्री महाभारत  »  पर्व 8: कर्ण पर्व  »  अध्याय 32: दुर्योधनकी शल्यसे कर्णका सारथि बननेके लिये प्रार्थना और शल्यका इस विषयमें घोर विरोध करना, पुन: श्रीकृष्णके समान अपनी प्रशंसा सुनकर उसे स्वीकार कर लेना  »  श्लोक 7-8
 
 
श्लोक  8.32.7-8 
स पाहि सर्वथा कर्णं यथा ब्रह्मा महेश्वरम्॥ ७॥
यथा च सर्वथाऽऽपत्सु वार्ष्णेय: पाति पाण्डवम्।
तथा मद्रेश्वराद्य त्वं राधेयं प्रतिपालय॥ ८॥
 
 
अनुवाद
जिस प्रकार ब्रह्मा जी ने सारथी बनकर महादेव जी की रक्षा की थी और जिस प्रकार श्रीकृष्ण अर्जुन की सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करते हैं, उसी प्रकार आप भी कर्ण की पूर्णतः रक्षा करें। हे मद्रराज! आज आप राधा के पुत्र की रक्षा करें।'
 
‘Just as Brahma Ji protected Mahadev Ji by becoming a charioteer and just as Shri Krishna protects Arjun from all kinds of dangers, in the same way you should protect Karna completely. O King of Madra! Today you should protect Radha's son.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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